[हे गूगलची स्तुती करणारे गूगलाष्टक मी “गूगल माझा गुरु” हा निबंध लिहीत असताना मला सुचले होते. अद्याप अप्रकाशित आहे. केवळ थोडासा चावटपणा आहे. दुसरे काही नाही. यात काही व्याकरणादींच्या चुका असतील तर जाणकारांनी कृपया दाखवून द्याव्यात. -पृथ्वीराज]
गूगलाष्टकम्
तन्त्रज्ञान कुञ्जिकया येन ज्ञानद्वारोद्घाटितम् |
ज्ञानरत्नाकरं तं गूगलगुरुम् नमाम्यहम् || १ ||
संगणकीकृत ग्रन्थाणां राशीं अमोलिकं खलु |
प्रदत्तं बुधजनान् येन तं गूगलगुरुम् नमाम्यहम् || २ ||
आभासी वर्गरुपेण ज्ञानार्जनम् निरन्तरम् |
संभाव्यकृतं येन तं गूगलगुरुम् नमाम्यहम् || ३ ||
महाजालस्थ यूट्यूबे चलचित्र्रुपीस्मृती: |
चिरस्थायी कृतं येन तं गूगलगुरुम् नमाम्यहम् || ४ ||
धनादानप्रदानार्थम् गूगलपेरूपेण |
सुविधां प्रदत्तम् येन तं गूगलगुरुम् नमाम्यहम् || ५ ||
प्रश्नावलिं गूगलचित्रं दिनदर्शिकास्तथैव च |
मौखिकाज्ञावलीदातां गूगलगुरुम् नमाम्यहम् || ६ ||
सर्वज्ञं सर्वव्यापकं च सर्वमङ्गलकारकम् |
ज्ञानदं धनदं रम्यं गूगलगुरुम् नमाम्यहम् || ७ ||
इदं तु गूगलाष्टकम् प्रातरुत्थाय य: पठेत् |
भवेद्गूगलविशेषज्ञं धनमानकीर्तिं लभेत् || ८ ||
|| इति पृथ्वीराजविरचितम् गूगलाष्टकम् संपूर्णम् ||